इंजीनियर बना किसान! ₹15 लाख की नौकरी छोड़ अपनाई जैविक खेती, सालाना ₹1.5 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर
Success Story: कभी 15 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी करने वाले राहुल ने इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद पावर प्लांट में काम किया. लेकिन पिता और पुत्र को खोने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जैविक व प्राकृतिक खेती की राह चुनी.
Success Story: युवा किसान खेती-किसानी को मुनाफे का सौदा बनाकर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले के खजरी गांव के राहुल कुमार वसूले आज एक प्रगतिशील किसान हैं. इसके साथ-साथ वे जैविक खेती के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले नायक भी हैं. कभी 15 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी करने वाले राहुल ने इंजीनियरिंग और प्रबंधन की पढ़ाई करने के बाद पावर प्लांट में काम किया. लेकिन परिवार के स्वास्थ्य पर रसायनिक खेती के दुष्प्रभावों को देखकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जैविक व प्राकृतिक खेती की राह चुनी.
कैंसर से पिता और पुत्र को खोया
बी.टेक और एम.बी.ए. की शिक्षा लेने के बाद राहुल ने लगभग 15 वर्षों तक पॉवर प्लांट में काम किया, लेकिन अपने पिता और पुत्र को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में खोने के बाद उन्होंने महसूस किया कि इन समस्याओं की मूल जड़ रासायनिक खेती से पैदा हुआ अनाज और सब्जियां हैं. स गहरी सोच के बाद उन्होंने वर्ष 2018 में अपनी नौकरी छोड़कर जैविक खेती करने का फैसला किया.
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जैविक खेती (Natural Farming) को समझने और इसे प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए राहुल ने राज्य सरकार की मदद से देश के विभिन्न संस्थानों और वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लिया. उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत, केंचुआ खाद और नीमास्त्र जैसे जैविक उत्पाद तैयार करना सीखा, साथ ही इजरायल की तकनीक से संरक्षित खेती और मशरूम उत्पादन जैसे आधुनिक तरीके भी अपनाये.
मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया 𝟐𝟎𝟐𝟒 पुरस्कार से सम्मानित
राहुल की प्रगतिशीलता से उन्हें पूसा, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्हें 'मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया 2024' जैसे प्रतिष्ठित नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. वर्ष 2022 में आगरा में उन्हें जैविक इंडिया अवार्ड मिला. वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में गौ आधारित जैविक कृषि अवॉर्ड में भी राहुल को सम्मानित किया गया.
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जैविक खेती का मॉडल
राहुल के पास 10 एकड़ भूमि है, जहां वे गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी, चना, मूंग, और सब्जियों की खेती करते हैं. उन्होंने प्राकृतिक खाद और जैविक तरीकों का उपयोग कर अपनी उपज की गुणवत्ता को बेहतर बनाया. इसके अलावा वे दुग्ध और मशरूम उत्पादन भी कर रहे हैं. राहुल की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है "रसायनमुक्त नवरत्न आटा," जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, काला गेहूं और अन्य अनाज भी शामिल हैं. यह आटा उनके जैविक प्र-संस्करण यूनिट में तैयार होता है, जो ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इस यूनिट से क्षेत्र के 50 से अधिक जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी मिला है.
1.5 करोड़ रुपये का टर्नओवर
राहुल पहले 15 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी कर रहे थे, अब खेती करने के बाद उनका का वार्षिक टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक है. उनके उत्पाद गुरुग्राम, नोएडा, पुणे, मुंबई जैसे शहरों तक भेजे जा रहे हैं. राहुल "श्रीराम जैविक कृषक समूह" कंपनी चलाते हैं, जिससे 600 से ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं. वे किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं. उनकी सफलता ने आसपास के किसानों को भी रसायमुक्त खेती की ओर मोड़ दिया.
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अपनी सफलता पर राहुल कहते हैं कि सही सोच और मेहनत से हम न केवल अपनी, बल्कि समाज की दिशा भी बदल सकते हैं. वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार जताते हुए कहते हैं कि केन्द्र एवं राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों की वजह से ही वे आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं.
12:12 PM IST